Thursday, May 2, 2024

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केजरीवाल को आखिर नई शराब पॉलिसी क्यों लानी पड़ी (केजरीवाल का 2001 से लेकर 2024 का सफरनामा

केजरीवाल ने जब सन् 2000 में IRS रहते हुए 3 साल की study leave ली लेकिन 2002 में फिर नौकरी ज्वाइन कर ली, इस दौरान उन्होंने कुछ NGOs की स्थापना की और 2006 में फाइनली IRS से resign किया, दरअसल इस बीच में DeepState के संपर्क में आए जिसका एक मुख्य फेस जॉर्ज सोरोस है। जॉर्ज सोरोस ने अपनी ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के माध्यम से केजरीवाल की एनजीओ संस्था सम्पूर्ण परिवर्तन को लगभग 2001 से फंड देना शुरू कर दिया था और केजरीवाल जॉर्ज सोरोस के एजेंट बन कर तमाम anti govt anarchy करता रहा

1998 के बाद जब इंडिया ने परमाणु बम का टेस्ट किया था और इंडिया ने अमेरिका का पिछलग्गू बनने से इंकार कर दिया तब अमेरिका ने भारत को दबाने के लिए 1999 में पाकिस्तान से कारगिल युद्ध करवाया फिर भी अटलजी की सख्ती के सामने अमेरिका की एक न चली। “तब जॉर्ज सोरोस ने सोचा इंडिया में हमारे ऐसे एजेंट होने चाहिए जिससे इंडिया की सरकार को काबू में कर सके।”

इसके लिए DeepState के जॉर्ज सोरोस ने भारत में एक नया मूवमेंट Right to Know (आरटीआई) शुरू कराया जिस आरटीआई के माध्यम से सरकार से सारी informations मांग करके सरकारों पर ही दवाब डाला जा सके. 2005 में आरटीआई एक्ट आ गया, जिसके लिए DeepState ने अमेरिका से खास केजरीवाल को “रेमन मैग्सेसे” पुरस्कार भी दिलाया जबकि आरटीआई लाने के लिए बहुत से लोगों ने काम किया था

दूसरी तरफ DeapState अमेरिका ने 26/11 की घटना को 2008 में पाकिस्तान के माध्यम से अंजाम दिया ताकि सरकार दबाव में आए। लेकिन इसमें भी Deepstate पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। लेकिन जब इंडिया 2008/2009 में आयी recession से उबर गया और अमेरिका पिट गया तब अमेरिका को चिंता हुई तो जॉर्ज सोरोस तथा फोर्ड फाउंडेशन ने केजरीवाल को बहुत ज्यादा फंड देना शुरू कर दिया क्योंकि प्रणव मुखर्जी की retrospective Tax system से DeepState का जॉर्ज सोरोस बिलबिला गया था और उसने केजरीवाल के माध्यम से आर.टी.आई. एक्ट द्वारा कांग्रेस सरकार को परेशान करना शुरू कर दिया

फलस्वरूप अन्ना आंदोलन का जन्म 2011 में शुरू हो गया। दूसरी तरफ Dr Subramanian Swamy भी कांग्रेस के पीछे पड़ गए।

जब प्रणब मुखर्जी retrospective tax system को हटाने के लिए तैयार नहीं हुए तो कांग्रेस ने अमेरिका और यूरोप खासकर Uk को खुश करने के लिए प्रणव मुखर्जी को वित्त मंत्री से हटाकर 2012 में चिदंबरम जी को वित्त मंत्री बना दिया।

लेकिन 2011 से जब अन्ना आंदोलन कांग्रेस के भ्रष्टाचार का प्रमुख मुद्दा बन गया। तब बीजेपी ने इस मूवमेंट को हाईजैक कर लिया चूंकि लाल कृष्ण आडवाणी जी पाकिस्तान प्रेम के कारण बीजेपी में कमजोर हो रहे थे, मोदी जी ने इस अवसर को अपने पक्ष में कर लिया.

जब केजरीवाल ने देखा कि उसके आंदोलन का फायदा बीजेपी और आर.एस.एस. को हो रहा है तो *उसने आपने आका जॉर्ज सोरोस की सलाह पर तुरंत AAP पार्टी की स्थापना कर ली।

जबकि शुरू में पॉलिटिकल पार्टी बनाने का कोई प्रोग्राम नही था और केजरीवाल बच्चो की कसम खाकर राजनीति में नही आने का ऐलान कर चुका था और कांग्रेस के साथ भी कभी सरकार नही बनाने का ऐलान कर चुका था, और वो शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार की मोटी फाइल लेकर घूमना शुरू कर दिया

2014 में मोदी जी जब सत्ता में आए तब मोदीजी को यह विदेशी षड्यंत्र समझ आया तो उन्होंने पहले तो तुरंत नोटबंदी की, जिसमे मुख्यतः पाकिस्तान भिखारी बन गया जहां चप्पे चप्पे पर भारतीय नोट छापने की फैक्ट्रियां लगीं थीं

मोदी सरकार को काबू में रखने के लिए केजरीवाल ने 2018/2019 में शाहीन बाग जैसे आंदोलन करवाए फिर बाद में मोदी सरकार को हिलाने के लिए किसान आंदोलन, पहलवान आंदोलन को केजरीवाल ने खूब fuel दिया जिसके लिए जॉर्ज सोरोस तथा फोर्ड फाउंडेशन के माध्यम केजरीवाल और पीएफआई जैसी संस्थाओं को फंड आया।,

गनीमत रही अमेरिका में 2016 /2020 तक ट्रंप सरकार रही जिससे इंडिया और अमेरिका का रिश्ता संतुलित रहा

लेकिन जॉर्ज सोरोस को ट्रंप का मोदी के साथ यह रिश्ता पसंद नही आ रहा था, अतः वह ट्रंप को भी हराने में जुट गया। यही कारण था। 2020 US election में ट्रंप हार गए और जॉर्ज समर्थित जो बाइडेन जीत गए लेकिन जो बाइडेन अपनी गलत विदेश नीति की कारण अलोकप्रिय हो गए और इधर मोदीजी अपनी विकास पुरुष की छवि लोक से प्रिय हो रह…

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